Post Top Ad
Sunday, August 30, 2020
Home
राष्ट्रीय
तलाश नौकरी की, ************************ रविवार 30 अगस्त 2020 |लखनऊ (मानवी मीडिया) संपादकीय ::**********************कोविड-19 के कारण विश्वभर की अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव ही पड़ा है। भारत जैसे देश में कोरोना की मार के कारण जहां अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा गई वहीं मंदी का दौर शुरू है, बेरोजगारी भी बढ़ रही है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में अपना भविष्य ढूंढते नये युवा चिंता में हैं। सरकारी नौकरियां तो पहले ही कम थी अब निजी क्षेत्र में भी युवाओं को अपना भविष्य धूमिल दिखाई दे रहा है। सरकार युवाओं को नौकरी ढूंढने की बजाए अपना धंधा शुरू करने के लिए प्रयासरत है और युवाओं को काम के लिए ऋण देने के लिए बैंकों व अन्य वित्तीय संगठनों को कह भी रही है।एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण जहां पहले से ही मंदी और बेरोजगारी का दौर चल रहा है ऐसे में जो नये युवा जिनकी अगले दशक में 9 करोड़ की संख्या होगी नौकरी की तलाश करेंगे। ‘इंडियाज टर्निंग प्वाइंट- एन इकोनॉमिक एजेंडा टु स्पर ग्रोथ ऐंड जॉब’ नाम से जारी रिपोर्ट में एमजीआई ने चेतावनी दी है कि अगर इसके लिए जरूरी प्रमुख सुधार नहीं किए गए तो इससे आर्थिक अस्थिरता आ सकती है। एमजीआई के अनुमान के मुताबिक मौजूदा जनसांख्यिकी से संकेत मिलते हैं कि कार्यबल में 6 करोड़ नए कामगार प्रवेश करेंगे और कृषि के काम से 3 करोड़ अतिरिक्त कामगार ज्यादा उत्पादक गैर कृृषि क्षेत्र में उतर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद 2029-30 तक हर साल 1.2 करोड़ गैर कृषि नौकरियों की सालाना जरूरत होगी। यह 2012 और 2018 के बीच हर साल महज 40 लाख नौकरियों के सृजन की तुलना में बहुत ज्यादा है। वृद्धि के तेज रफ्तार पर अर्थव्यवस्था को ले जाने के लिए एमजीआई ने 3 थीम का सुझाव दिया है-वैश्विक केंद्र की स्थापना, जो भारत और दुनिया में काम करे और विनिर्माण व कृषि निर्यात व डिजिटल सेवाओं पर इसका जोर हो। दूसरा- प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, जिसमें अगली पीढ़ी के वित्तीय उत्पाद और उच्च कौशल के लॉजिस्टिक्स व पॉवर शामिल हैं और तीसरा रहने व काम करने की नई राह, जिसमें शेयरिंग इकोनॉमी और मॉर्डन रिटेल शामिल हैं। इन तीन व्यापक थीम के भीतर एमजीआई ने 43 कारोबार की संभावनाएं देखी हैं इससे 2030 तक 2.5 लाख करोड़ डॉलर के आर्थिक मूल्य का सृजन किया जा सकता है और 2030 तक करीब 30 प्रतिशत गैर कृषि कार्यबल को समर्थन दिया जा सकता है।इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र बढ़े सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2030 तक पांचवें हिस्से का योगदान कर सकता है, जबकि निर्माण क्षेत्र की गैर कृषि नौकरियों में 4 में से एक नौकरी की हिस्सेदारी कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम एवं ज्ञान आधारित सेवा क्षेत्र को भी पहले की तरह मजबूत वृद्धि दर बनाए रखने की जरूरत होगी। विनिर्माण के बारे में एमजीआई ने विभिन्न सुधारों की बात की है, जिसमें स्थिर व घटता शुल्क शामिल है। अवसरों के लाभ उठाने के मोर्चे पर भारत को बड़ी फर्मों की संख्या बढ़ाकर तीन गुना करने की जरूरत है, जिनमें 1000 से ज्यादा मझोले आकार की और 10,000 छोटी बड़ी कंपनियां हों। भारत में करीब 600 बड़ी फर्में हैं, जिनका राजस्व 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये औसत से 11 गुना ज्यादा उत्पादक हैं और कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है।मैकिंसी ग्लोबल इंस्टीच्यूट द्वारा जारी उपरोक्त रिपोर्ट को देखते हुए कहा जा सकता है कि आगामी 10 वर्ष भारत तथा भारत के युवाओं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हंै। सरकार को अभी से नये युवाओं की नौकरियों को लेकर एमजीआई द्वारा दिए सुझावों को गंभीरता से लेकर नौकरियां बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि नौकरियों की तलाश में निकले नये युवाओं के हाथ निराशा न लगे। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇
तलाश नौकरी की, ************************ रविवार 30 अगस्त 2020 |लखनऊ (मानवी मीडिया) संपादकीय ::**********************कोविड-19 के कारण विश्वभर की अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव ही पड़ा है। भारत जैसे देश में कोरोना की मार के कारण जहां अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा गई वहीं मंदी का दौर शुरू है, बेरोजगारी भी बढ़ रही है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में अपना भविष्य ढूंढते नये युवा चिंता में हैं। सरकारी नौकरियां तो पहले ही कम थी अब निजी क्षेत्र में भी युवाओं को अपना भविष्य धूमिल दिखाई दे रहा है। सरकार युवाओं को नौकरी ढूंढने की बजाए अपना धंधा शुरू करने के लिए प्रयासरत है और युवाओं को काम के लिए ऋण देने के लिए बैंकों व अन्य वित्तीय संगठनों को कह भी रही है।एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण जहां पहले से ही मंदी और बेरोजगारी का दौर चल रहा है ऐसे में जो नये युवा जिनकी अगले दशक में 9 करोड़ की संख्या होगी नौकरी की तलाश करेंगे। ‘इंडियाज टर्निंग प्वाइंट- एन इकोनॉमिक एजेंडा टु स्पर ग्रोथ ऐंड जॉब’ नाम से जारी रिपोर्ट में एमजीआई ने चेतावनी दी है कि अगर इसके लिए जरूरी प्रमुख सुधार नहीं किए गए तो इससे आर्थिक अस्थिरता आ सकती है। एमजीआई के अनुमान के मुताबिक मौजूदा जनसांख्यिकी से संकेत मिलते हैं कि कार्यबल में 6 करोड़ नए कामगार प्रवेश करेंगे और कृषि के काम से 3 करोड़ अतिरिक्त कामगार ज्यादा उत्पादक गैर कृृषि क्षेत्र में उतर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद 2029-30 तक हर साल 1.2 करोड़ गैर कृषि नौकरियों की सालाना जरूरत होगी। यह 2012 और 2018 के बीच हर साल महज 40 लाख नौकरियों के सृजन की तुलना में बहुत ज्यादा है। वृद्धि के तेज रफ्तार पर अर्थव्यवस्था को ले जाने के लिए एमजीआई ने 3 थीम का सुझाव दिया है-वैश्विक केंद्र की स्थापना, जो भारत और दुनिया में काम करे और विनिर्माण व कृषि निर्यात व डिजिटल सेवाओं पर इसका जोर हो। दूसरा- प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, जिसमें अगली पीढ़ी के वित्तीय उत्पाद और उच्च कौशल के लॉजिस्टिक्स व पॉवर शामिल हैं और तीसरा रहने व काम करने की नई राह, जिसमें शेयरिंग इकोनॉमी और मॉर्डन रिटेल शामिल हैं। इन तीन व्यापक थीम के भीतर एमजीआई ने 43 कारोबार की संभावनाएं देखी हैं इससे 2030 तक 2.5 लाख करोड़ डॉलर के आर्थिक मूल्य का सृजन किया जा सकता है और 2030 तक करीब 30 प्रतिशत गैर कृषि कार्यबल को समर्थन दिया जा सकता है।इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र बढ़े सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2030 तक पांचवें हिस्से का योगदान कर सकता है, जबकि निर्माण क्षेत्र की गैर कृषि नौकरियों में 4 में से एक नौकरी की हिस्सेदारी कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम एवं ज्ञान आधारित सेवा क्षेत्र को भी पहले की तरह मजबूत वृद्धि दर बनाए रखने की जरूरत होगी। विनिर्माण के बारे में एमजीआई ने विभिन्न सुधारों की बात की है, जिसमें स्थिर व घटता शुल्क शामिल है। अवसरों के लाभ उठाने के मोर्चे पर भारत को बड़ी फर्मों की संख्या बढ़ाकर तीन गुना करने की जरूरत है, जिनमें 1000 से ज्यादा मझोले आकार की और 10,000 छोटी बड़ी कंपनियां हों। भारत में करीब 600 बड़ी फर्में हैं, जिनका राजस्व 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये औसत से 11 गुना ज्यादा उत्पादक हैं और कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है।मैकिंसी ग्लोबल इंस्टीच्यूट द्वारा जारी उपरोक्त रिपोर्ट को देखते हुए कहा जा सकता है कि आगामी 10 वर्ष भारत तथा भारत के युवाओं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हंै। सरकार को अभी से नये युवाओं की नौकरियों को लेकर एमजीआई द्वारा दिए सुझावों को गंभीरता से लेकर नौकरियां बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि नौकरियों की तलाश में निकले नये युवाओं के हाथ निराशा न लगे। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇
Post Top Ad
Author Details
.