मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदी- 'अब सभी को , पढ़ें पूरा संबोधन, ****************** रविवार 30 अगस्त2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 68वें संस्करण में रविवार देशवासियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने सबसे पहले देशवासियों को गणेशोत्सव की शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'ओणम एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार बनता जा रहा है। यह हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सही समय होता है। हमारे अन्नदाता को हमारा नमन। हमारे किसानों ने कोरोना के इस कठिन समय में भी अपनी काबिलियत को साबित किया है। अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः, अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में सादगी के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में देश एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रहा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने खिलौनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में नागरिकों में अपने दायित्वों का अहसास है। कोरोना के चलते लोग अनुशासन बरत रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में हर तरह के उत्सवों में लोग संयम बरत रहे हैं।मन की बात में बोले PM मोदी: खिलौनों के लिए अब वोकल होने का वक्त आ गया प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में स्वदेशी गेम बनाने की अपील करते हुए कहा कि खिलौना उद्योग में भारत की भागीदारी बढ़नी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आत्मविश्वास के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। भारत के भी और भारत में भी कम्प्यूटर गेम बनने चाहिए। कम्प्यूटर गेम में भारत की थीम होनी चाहिए।पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ। बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत, संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं। बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो '60 घंटे के बरना' का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है।'पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा और इसी से मैंने गांधीनगर की चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया।'मन की बात: 'अब सभी के लिये लोकल खिलौनों के लिये वोकल होने का समय है'उन्होंने आगे कहा, 'साथियों, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, खिलौने का उत्पाद का बहुत बड़ा क्षेत्र कैसे बने। वैसे मैं ‘मन की बात' सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात' सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा। साथियों, खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं।'पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि अच्छा Toy वो होता है । ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें। एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया। महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था. यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया। इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया। खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया।'उन्होंने आगे कहा, 'अब सभी के लिये लोकल खिलौनों के लिये वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी गुणवत्ता वाले, खिलौने बनाते हैं। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों। हमारे देश में इतने विचार हैं, , बहुत समृद्ध हमारा इतिहास रहा है। क्या हम उन पर खेल बना सकते हैं। मैं देश के युवा बुद्धिजीवीयो से कहता हूँ, आप, भारत में भी गेम्स बनाइये,। कहा भी जाता है - Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं।'मोदी उन्होंने आगे कहा, 'जब आज से सौ वर्ष पहले, असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तो गांधी ने लिखा था कि – “असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है। आज, जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो, हमें, पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था, उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हम सबका दायित्व है। मेरे प्यारे देशवासियों, भारतीयों के आमंत्रण और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है।'उन्होंने आगे कहा, 'इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक app innovation challenge रखा गया। इस आत्मनिर्भर भारत app innovation challenge में हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया. करीब 7 हजार entries आईं, उसमें भी, करीब-करीब दो तिहाई apps tier two और tier three शहरों के युवाओं ने बनाए हैं। ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है। आत्मनिर्भर app innovation challenge के परिणाम देखकर आप ज़रूर प्रभावित होंगे। काफी जाँच-परख के बाद, अलग-अलग category में, लगभग दो दर्जन Apps को पुरस्कार भी दिए गये हैं। आप जरुर इन Apps के बारे में जाने और उनसे जुड़ें। हो सकता है आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जायें।'प्रधानमंत्री ने कहा, 'इनमें एक App है, कुटुकी kids learning app. ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है, जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें activities भी हैं, खेल भी हैं। इसी तरह एक micro blogging platform का भी app है। इसका नाम है कू - KOO। इसमें, हम, अपनी मातृभाषा में text, video और audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं, interact कर सकते हैं। एक app है Ask सरकार। इसमें chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से। ये आपकी बड़ी मदद कर सकता है।'PM ने कहा, 'एक और app है, step set go. ये fitness App है. आप कितना चले, कितनी calories burn की, ये सारा हिसाब ये app रखता है, और आपको fit रहने के लिये motivate भी करता है. आप भी आगे आएं, कुछ innovate करें, कुछ implement करें. आपके प्रयास, आज के छोटे-छोटे start-ups, कल बड़ी-बड़ी कंपनियों में बदलेंगे और दुनिया में भारत की पहचान बनेंगे. और आप ये मत भूलिये कि आज जो दुनिया में बहुत बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नज़र आती हैं ना, ये भी, कभी, startup हुआ करती थी. पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह - Nutrition Month के रूप में मनाया जाएगा. आइये, पोषण माह में पौष्टिक खाने और स्वस्थ रहने के लिए हम सभी को प्रेरित करें.'PM मोदी ने आगे कहा, 'ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की। एक है सोफी और दूसरी विदा। सोफी और विदा, Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards' से सम्मानित किया गया है। हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं। कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आतंकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला। कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी। रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी। Dogs की Disaster Management और Rescue Missions में भी बहुत बड़ी भूमिका होती हैं। भारत में तो National Disaster Response Force – NDRF ने ऐसे दर्जनों Dogs को Specially Train किया है।'mann ki baat live updates pm modi address nation through radio programme coronavirus unlock examsPM मोदी ने आगे कहा, 'कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत expert होते हैं। साथियों, मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं। Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं। राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं। पिछले कुछ समय में सेना, NSG और CISF ने मुधोल हाउंड dogs को trained करके dog squad में शामिल किया है, CRPF ने कोम्बाई dogs को शामिल किया है। Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है। मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और, उपयोगी बनाया जा सके।'PM मोदी ने आगे कहा, 'अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ। आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है। मेरे प्रिय देशवासियों, कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है। तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है। मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि, उसे अवसर में बदल भी दिया है। आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं। शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं। मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायें खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇 - मानवी मीडिया

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Sunday, August 30, 2020

मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदी- 'अब सभी को , पढ़ें पूरा संबोधन, ****************** रविवार 30 अगस्त2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 68वें संस्करण में रविवार देशवासियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने सबसे पहले देशवासियों को गणेशोत्सव की शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'ओणम एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार बनता जा रहा है। यह हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सही समय होता है। हमारे अन्नदाता को हमारा नमन। हमारे किसानों ने कोरोना के इस कठिन समय में भी अपनी काबिलियत को साबित किया है। अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः, अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में सादगी के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में देश एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रहा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने खिलौनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में नागरिकों में अपने दायित्वों का अहसास है। कोरोना के चलते लोग अनुशासन बरत रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में हर तरह के उत्सवों में लोग संयम बरत रहे हैं।मन की बात में बोले PM मोदी: खिलौनों के लिए अब वोकल होने का वक्त आ गया प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में स्वदेशी गेम बनाने की अपील करते हुए कहा कि खिलौना उद्योग में भारत की भागीदारी बढ़नी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आत्मविश्वास के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। भारत के भी और भारत में भी कम्प्यूटर गेम बनने चाहिए। कम्प्यूटर गेम में भारत की थीम होनी चाहिए।पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ। बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत, संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं। बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो '60 घंटे के बरना' का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है।'पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा और इसी से मैंने गांधीनगर की चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया।'मन की बात: 'अब सभी के लिये लोकल खिलौनों के लिये वोकल होने का समय है'उन्होंने आगे कहा, 'साथियों, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, खिलौने का उत्पाद का बहुत बड़ा क्षेत्र कैसे बने। वैसे मैं ‘मन की बात' सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात' सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा। साथियों, खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं।'पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि अच्छा Toy वो होता है । ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें। एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया। महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था. यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया। इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया। खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया।'उन्होंने आगे कहा, 'अब सभी के लिये लोकल खिलौनों के लिये वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी गुणवत्ता वाले, खिलौने बनाते हैं। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों। हमारे देश में इतने विचार हैं, , बहुत समृद्ध हमारा इतिहास रहा है। क्या हम उन पर खेल बना सकते हैं। मैं देश के युवा बुद्धिजीवीयो से कहता हूँ, आप, भारत में भी गेम्स बनाइये,। कहा भी जाता है - Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं।'मोदी उन्होंने आगे कहा, 'जब आज से सौ वर्ष पहले, असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तो गांधी ने लिखा था कि – “असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है। आज, जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो, हमें, पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था, उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हम सबका दायित्व है। मेरे प्यारे देशवासियों, भारतीयों के आमंत्रण और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है।'उन्होंने आगे कहा, 'इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक app innovation challenge रखा गया। इस आत्मनिर्भर भारत app innovation challenge में हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया. करीब 7 हजार entries आईं, उसमें भी, करीब-करीब दो तिहाई apps tier two और tier three शहरों के युवाओं ने बनाए हैं। ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है। आत्मनिर्भर app innovation challenge के परिणाम देखकर आप ज़रूर प्रभावित होंगे। काफी जाँच-परख के बाद, अलग-अलग category में, लगभग दो दर्जन Apps को पुरस्कार भी दिए गये हैं। आप जरुर इन Apps के बारे में जाने और उनसे जुड़ें। हो सकता है आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जायें।'प्रधानमंत्री ने कहा, 'इनमें एक App है, कुटुकी kids learning app. ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है, जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें activities भी हैं, खेल भी हैं। इसी तरह एक micro blogging platform का भी app है। इसका नाम है कू - KOO। इसमें, हम, अपनी मातृभाषा में text, video और audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं, interact कर सकते हैं। एक app है Ask सरकार। इसमें chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से। ये आपकी बड़ी मदद कर सकता है।'PM ने कहा, 'एक और app है, step set go. ये fitness App है. आप कितना चले, कितनी calories burn की, ये सारा हिसाब ये app रखता है, और आपको fit रहने के लिये motivate भी करता है. आप भी आगे आएं, कुछ innovate करें, कुछ implement करें. आपके प्रयास, आज के छोटे-छोटे start-ups, कल बड़ी-बड़ी कंपनियों में बदलेंगे और दुनिया में भारत की पहचान बनेंगे. और आप ये मत भूलिये कि आज जो दुनिया में बहुत बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नज़र आती हैं ना, ये भी, कभी, startup हुआ करती थी. पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह - Nutrition Month के रूप में मनाया जाएगा. आइये, पोषण माह में पौष्टिक खाने और स्वस्थ रहने के लिए हम सभी को प्रेरित करें.'PM मोदी ने आगे कहा, 'ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की। एक है सोफी और दूसरी विदा। सोफी और विदा, Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards' से सम्मानित किया गया है। हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं। कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आतंकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला। कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी। रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी। Dogs की Disaster Management और Rescue Missions में भी बहुत बड़ी भूमिका होती हैं। भारत में तो National Disaster Response Force – NDRF ने ऐसे दर्जनों Dogs को Specially Train किया है।'mann ki baat live updates pm modi address nation through radio programme coronavirus unlock examsPM मोदी ने आगे कहा, 'कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत expert होते हैं। साथियों, मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं। Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं। राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं। पिछले कुछ समय में सेना, NSG और CISF ने मुधोल हाउंड dogs को trained करके dog squad में शामिल किया है, CRPF ने कोम्बाई dogs को शामिल किया है। Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है। मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और, उपयोगी बनाया जा सके।'PM मोदी ने आगे कहा, 'अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ। आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है। मेरे प्रिय देशवासियों, कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है। तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है। मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि, उसे अवसर में बदल भी दिया है। आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं। शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं। मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायें खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇


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