कोरोना से तो जीता लेकिन स्थानीय लोगों ने बना ली दूरियां, दो वर्ष की बेटी को दूध तक नसीब नहीं - मानवी मीडिया

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Wednesday, April 29, 2020

कोरोना से तो जीता लेकिन स्थानीय लोगों ने बना ली दूरियां, दो वर्ष की बेटी को दूध तक नसीब नहीं



  • बुधवार 29 अप्रैल, 2020 |कांगड़ा कांगड़ा उपमंडल के लंज के रहने वाले दिनेश कुमार कोरोना से लड़ाई तो जीत गये परन्तु अपनों ने ही उनसे व उनके परिवार के सदस्यों से इतनी दूरियां बना लीं कि कांगड़ा प्रशासन को लोगों से विनती करनी पड़ी कि दिनेश कुमार पूर्णतया स्वास्थ्य है और इनसे व इनके परिवार के सदस्यों से मिलकर रहें। कांगड़ा उपमंडलाधिकारी जतिन लाल ने बुधवार को लंज जाकर दिनेश कुमार के घर से कोविड-19 का बोर्ड हटाया व उन्हें व उनके सभी परिवार के सदस्यों को होम क्वारंटाइन से मुक्ति दिलाई। जतिन लाल ने कहा कि आप व आपका परिवार अब घर से बाहर जा सकता है और रोजमर्रा की वस्तुओं के साथ साथ अन्य खरीदारी कर सकता है परन्तु शरीरिक दूरियां जरूर रखनी होंगी। बता दें कि दिनेश कुमार 18 मार्च को सिंगापुर से लोटे थे और 19 मार्च को खुद दिनेश कुमार ने कांगड़ा के टांडा में कोरेना जांच करवाया जिसमें पता चला कि वह कोरोना संक्रमित है। कोरोना संक्रमित होने के कारण दिनेश कुमार को टांडा दाखिल कर दिया गया परन्तु इसी बीच उनके पूरे परिवार को होम क्वारंटाइन कर दिया गया। परिवार के सभी सदस्यों जिसमें उनकी वृद्ध माता, उनकी 6 माह की गर्भवती पत्नी, एक बड़ा भाई उनकी पत्नी व उनका 9 वर्षय बालक, मंजला भाई उनकी पत्नी व उनकी दो वर्षीय बेटी सहित सभी का कोरोना जांच की गई जो कि नेगटिव आई थी। होम क्वारंटाइन के बावजूद दिनेश के परिवार के सदस्य से लंज के स्थानीय लोगों व आसपास के लोगों ने सामाजिक दूरियां बना लीं यहां तक उनके घर में राशन, सब्जी व अन्य सामाग्री मिलना मुश्किल हो गई।दिनेश कुमार टांडा में 9 दिन रहने के बाद उसकी कोरोना जांच की र्पिाट नेगटिव आई और एंबुलेंस से घर लंज भेज दिया गया परन्तु उसके बावजूद भी स्थानीय लोगों की दूरियां कम नहीं हुई और न ही किसी भी व्यक्ति ने कोई मदद की। राशन व अन्य सामग्री एसडीएम कांगड़ा के आदेश पर लंज के पटवारी द्वारा घर पर दी जा रही थी। दिनेश के घर लौटने पर स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 14 दिनों के होम क्वारंटाइन कर दिया और ऐसे में उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई। 14 दिनों के होम क्वारंटाइन के समय पूरा होने पर उन्हें बताया कि उन्हें 27 अप्रैल तक होम क्वारंटाइन में ओर रहना होगा जिस पर दिनेश व उनके परिवार ने प्रशासन का आदेश माना। 27 अप्रैल को भी जब होम क्वारंटाइन पूरा हो गया तो भी उनके घर से कोविड-19 का बोर्ड नहीं हटा जिससे उन्हें एसडीएम कांगड़ा को सूचित करना पड़ा और 29 अप्रैल को स्वयं एसडीएम कांगड़ा ने दिनेश के घर जाकर कोविड-19 को बोर्ड हटाया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से इनके परिवार से मिल कर रहने की अपील भी की।दिनेश कुमार को इस बात का दुख है कि बेशक वह कोरोना से संक्रमित हुए हैं और ठीक भी हुए परन्तु इस दौरान उनकी पत्नी जो कि 6 माह की गर्भवती है उन्हें समय पर उपचार नहीं मिला पाया। होम क्वारंटाइन होने के कारण कई लोगों से घर में जांच की गुहार लगाई परन्तु लोगों ने उनके परिवार से समाजिक दूरियां ही बनाई रखी। उन्होंने बताया कि लोगों की सामाजिक दूरियां कब तक चलेंगी और कब स्थानीय लोग उनके परिवार से दूर रहेंगे।दिनेश कुमार ने बताया कि इन चालीस दिनों में लोगों का जो व्यवहार सामने आया वह हैरान व पीड़ा देने वाला था। उन्होने बताया कि होम क्वारंटाइन के दौरान उनके मंजले भाई की दो वर्षीय बेटी को कई दिनों तक दूध नसीब नहीं हुआ। स्थानीय लोगों ने उनके परिवार को राशन, सब्जी तो दूर दूध देना भी बंद कर दिया था परन्तु एक स्थानीय स्कूल के प्राचार्य ने उनकी परेशानी समझी और उन्होंने स्वयं घर के बाहर दूध की बोतल कई दिनों तक छोडऩा शुरू कर दिया।



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