पाकिस्तान ने यूएन में फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने किया बेनकाब - मानवी मीडिया

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Friday, February 28, 2020

पाकिस्तान ने यूएन में फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने किया बेनकाब




  • राष्ट्रीय शुक्रवारर 28 फरवरी, 2020 |नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर के मसले पर हर मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43वें उच्चस्तरीय सम्मेलन में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई तो भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए पाकिस्तान को 'आतंकवाद का खतरनाक पालना' करार देते हुए बेनकाब किया। भारत ने कहा कि दूसरों को उपदेश देने से पहले उसे याद रखना चाहिए कि आतंकवाद मानवाधिकार हनन का सबसे खराब रूप है।भारत के स्थायी कमीशन में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान की चिंता पर 'राइट टु रिप्लाई' का इस्तेमाल करते हुए कहा कि पिछले सात महीनों में भारत ने जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक और विधायिका को लेकर तमाम सुधार लागू किए हैं। विमर्श ने कहा कि इन सुधारों का मकसद है कि सभी भारतीय नागरिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा हो सके और पाकिस्तान की भारतीय समाज के तानेबाने को नुकसान पहुंचाने की कुख्यात योजना को रोका जा सके।आर्यन ने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तमाम मंचों पर पाकिस्तान की सनक भरी प्रतिक्रियाएं देखी हैं जो केवल तिल का ताड़ बनाने के मकसद से की जाती रही। लेकिन ऐसा लगता है कि जैसे लोकतांत्रिक परंपराएं और धार्मिक सहिष्णुता पाकिस्तान के लिए नहीं हैं। भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को आतंकवाद का सबसे घातक पालना करार देते हुए कहा, सीमापार आतंकवाद के सबसे बड़े पीड़ित होने के नाते हम परिषद को यह सूचित करना चाहते हैं कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसके पूर्व राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक सार्वजनिक तौर पर राज्य मशीनरी और यूएन द्वारा घोषित आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने की बात स्वीकार कर चुके हैं।यूएनएचआरसी में जवाब देते हुए आर्यन ने कहा, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यक समुदाय का आकार आजादी के बाद से सिकुड़ा है। यहां ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पख्तून, सिंधी और बलूच को ईशनिंदा कानून, व्यवस्थित तरीके से उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण के जरिए प्रताड़ित किया गया है। भारत ने अपने जवाब में कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को इस पर कब्जा करने की इच्छा छोड़ देनी चाहिए। हम पाकिस्तान से अपने स्वार्थ साधने वाले प्रोपैगैंडा के खातिर झूठ फैलाने के बजाय अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों पर सकारात्मक ढंग से काम करना चाहिए।







 




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