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Friday, November 29, 2019

लखनऊ शिक्षा और संचार के जरिये खून की कमी के बारे में करेंगे जागरूक 

एनीमिया मुक्त भारत अभियान का जन-जन तक होगा प्रचार शुक्रवार , 29 नवंबर 2019 
मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में शुक्रवार को एनीमिया मुक्त भारत अभियान को लेकर   अंतरविभागीय बैठक हुई। चिकित्सा  स्वास्थ्य परिवार कल्याण बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा , पंचायती राज  , एन सी सी व एन एस एस, स्काउट एण्ड गाइड विभाग मिलकर इस अभियान को चलाएंगे |  
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा – एनीमिया से लड़ने के लिए पहले से ही नेशनल आयरन प्लस इनिशिएटिव (निपी), वीकली आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (विफ़्स) और नेशनल डिवार्मिंग डे (एनडीडी) कार्यक्रम चल रहे हैं लेकिन इन कार्यक्रमों को और अधिक मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से एनीमिया मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गयी है | प्रदेश में एनीमिया (खून की कमी) एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है जो कि विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 4 के अनुसार प्रदेश में 15 से 49 वर्ष की लगभग 52.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं, वहीं 6 से 59 माह के लगभग 63.2 प्रतिशत बच्चे और 15 से 49 वर्ष के लगभग 23.7 प्रतिशत पुरुष खून की कमी से जूझ रहे है। वहीं 15-49 वर्ष की लगभग 51 फीसद  महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं ।  लखनऊ की बात करें तो यहाँ 15 से 49 वर्ष की 58.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं,  वहीं 6 से 59 माह के लगभग 72 प्रतिशत बच्चे और 15 से 49 वर्ष के लगभग 22.9 प्रतिशत पुरुष खून की कमी से जूझ रहे हैं । 15-49 वर्ष की लगभग 35.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं खून की कमी से ग्रसित  हैं | इन सभी आयु वर्गों में एनीमिया में कमी लाने के लिए उपलब्ध आयरन सिरप और गोली के साथ इसके प्रति जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। एनीमिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही 31 मार्च 2020 तक आईईसी (व्यापक प्रचार-प्रसार) अभियान चलाया जाएगा।
यह अभियान गर्भ से लेकर 19 वर्ष तक के किशोर किशोरियों को ध्यान में रखकर उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाएगा।  अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं एनीमिया मुक्त भारत अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. ए.के.दीक्षित ने बताया - इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज में खून की कमी से ग्रसित 6 वर्ष से 19 वर्ष तक के किशोर किशोरियों और गर्भवती व धात्री माताओं में प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की दर से गिरावट लाना है। डॉ॰ दीक्षित ने बताया कि मुख्य रूप से पोषक तत्वों की कमी के कारण खून की कमी हो जाती है। इसके चलते शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है। प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है। किशोरियों मे एनीमिया आगे जाकर गर्भावस्था को भी प्रभावित करता है। इस कमी को दूर करने के लिए अभियान के दौरान दो चरणों में जागरूकता की जाएगी। एक तरफ स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यक्रम कर जागरूकता फैलाई जाएगी वही दूसरी तरफ गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए कैंप आयोजित किए जाएंगे।
इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य  शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटेर्वेंशन मैनेजर डॉ. गौरव सक्सेना, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक विष्णु प्रताप एवं वात्सल्य से डॉ. ज़ोहा उपस्थित थीं |


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