पूर्व गवर्नर राजन ने किया सीतारमण पर पलटवार, बोले- भाजपा शासन में रहा था दो तिहाई कार्यकाल बृहस्पतिवार 31 अक्टूबर 2019 - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Thursday, October 31, 2019

पूर्व गवर्नर राजन ने किया सीतारमण पर पलटवार, बोले- भाजपा शासन में रहा था दो तिहाई कार्यकाल बृहस्पतिवार 31 अक्टूबर 2019

आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर पलटवार किया है। उन्होंने सीतारमण को याद दिलाया कि इस संस्था के प्रमुख के पद पर उनके कार्यकाल का दो तिहाई हिस्सा भाजपा शासन में ही बीता है। इससे पहले सीतारमण ने आरोप लगाते हुए कहा था कि राजन के कार्यकाल के समय केंद्रीय बैंक अपने सबसे बुरे दौर से गुजरा था।राजन ने एक इंटरव्यू में भाजपा नेता को याद दिलाया कि वह पांच सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। उन्होंने कांग्रेस सरकार में केवल आठ महीने जबकि भाजपा सरकार के समय 26 महीने कामकाज किया। राजन ने कहा कि मुझे राजनीतिक बहस में नहीं पड़ना है पर उनके कार्यकाल में ही बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) पर काम शुरू हुआ था, पर वह काम पूरा नहीं हो पाया। 



सीतारमण ने दिया था यह बयानगौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में कोलंबिया विश्वविद्यालय में सीतारमण ने कहा था कि बैंकों के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सबसे बुरा दौर था। इससे पहले पूर्व गवर्नर ने कहा था कि पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पहले से अच्छा काम नहीं कर सकी क्योंकि सरकार पूरी तरह केंद्रीकृत थी और नेतृत्व में आर्थिक वृद्धि तेज करने का कोई घोषित टिकाऊ दृष्टिकोण नहीं दिखा।उस पर वित्त मंत्री ने तीखा जवाब देते कहा था कि राजन के कार्यकाल में ही बैंक कर्ज के साथ बड़े मुद्दे आये थे। उन्होंने कहा कि एक विद्वान व्यक्ति के रूप में वह राजन का सम्मान करती हैं। पर उन्होंने रिजर्व बैंक का कार्यकाल ऐसे समय में संभाला जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी पर थी। यह गवर्नर के रूप में राजन का ही कार्यकाल था जब फोन कॉल पर नेताओं के साथ साठगांठ कर कर्ज दिये जा रहे थे।                                                 , कहा नई पीढ़ी के सुधारों की आवश्यकता   राजन  ने साक्षात्कार में आगे कहा कि देश के आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए नई पीढ़ी के सुधारों की जरूरत है। पांच प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर भारत में आर्थिक मंदी का संकेत है। बैंकों में पूंजी डाली जा चुकी है लेकिन यह काम गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में भी करना है जिसका काम ठप पड़ता जा रहा है।


 


Post Top Ad