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Monday, September 30, 2019

महिलाओं की आवाज उठाने वाली मोनिशा 29 सितंबर  2019



देश का नॉर्थ ईस्ट ऐसा क्षेत्रफल है, जो खूबसूरत तो है, लेकिन वहां आज भी शिक्षा और सुविधाओं का आभाव है। खासकर महिलाओं को तो न आजादी ही है न ही वे ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं। महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए मोनिशा बहल ने आवाज उठाई और आज वह महिलाओं के लिए खड़ी हैं






गुवाहाटी। मोनिशा का जनम गुवाहाटी के तेजपुर में हुआ था। उनकी मां महिला तेजपुर समिति में काम किया करती थीं। बड़ी होने पर मोनिशा दार्जिलिंग चली गईं और वहां रहकर पढ़ाई की। यहां से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति में बीए, एम किया। इसके बाद उन्होंने रिसर्च की ओर रुख किया। साथ ही साथ उन्होंने एमफिल पूरा कर लिया। इस दौरान उन्होंनें नॉर्थ-ईस्ट के कल्चर, लाइफस्टाइल, धर्म आदि से जुड़ी ढेर सारी किताबें पढ़ीं, जिस कारण उनका रुझान इस क्षेत्र की ओर बढ़ गया। खासकर महिलाओं से जुड़े मुद्दे उन्हें अपनी ओर खींचने लगे। महिलाओं के प्रति काम करने की ललक के कारण वह सेंटर फॉर वीमेन डेवलपमेंट स्टडीज से जुड़ गईं। सेंटर ने उन्हें एक स्टडी के लिए आसाम भेजा। साल 1981-82 में स्टडी के दौरान वो समाज के एक डरावने चेहरे से रूबरू हुईं। जैसी छवि नॉर्थ-ईस्ट की लोगों के बीच थी, वह पूरी तरह से वैसा नहीं था। यहां आकर उन्होंने देखा कि पुरुष महिलाओं से मजदूरी कराते थे और श्रम के बदले उन्हें बहुत कम पैसे दिए जाते थे।


उन्होंने पाया कि यहां की महिलाएं शोषित हैं। मोनिशा चिंतित हो उठीं। इसी दौरान उन्हें मैकआर्थर फेलोशिप मिली, जिसके सहारे उन्हें दो साल नागालैंड में स्टडी करने का मौका मिला। उन्होंने वहां नागा महिलाओं की सेहत की दशा पर रिसर्च की। साल 1995 में मोनिशा ने 'नॉर्थ ईस्ट नेटवर्क' की स्थापना की। इस नेटवर्क के तहत उन्होंने एक प्रोजेक्ट चलाया. दरअसल, वे नागालैंड के चिजामी गांव की महिलाओं के सामूहिक हुनर से काफी प्रभावित हुई थीं। महिला स्वास्थ्य पर केन्द्रित यह प्रोजेक्ट धीरे-धीरे महिला अधिकारों, पर्यावरण और लिंग समानता जैसे मुद्दों से भी जुड़ गया। उनके चलाए प्रोजेक्ट में महिलाएं आर्गेनिक फार्मिंग, बम्बू क्राफ्ट आदि द्वारा स्वरोजगार के तरीके सीखती। धीरे-धीरे दस गांवों की तीन सौ महिलाएं उनसे जुड़ गईं। इससे मोनिशा को थोड़ा बल मिला और 2014 में उन्होंने गांव समीति से कहा कि यहां की महिलाओं को पुरुषों को बराबर मानदेय दिया जाए। 'नॉर्थ ईस्ट नेटवर्क' पूर्वोतर के ऐसे संगठनों में से एक हैं, जो उदारवादी नारीवाद को महत्व देता है और नार्थ ईस्ट की महिलाओं को मुख्यधारा में लाना चाहता है।
इस संस्थान का उद्देश्य उत्तर-पूर्व के समाज को लिंग, न्याय, समानता और मानवाधिकार जैसे गंभीर मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना है। मोनिशा बहल ने नॉर्थ-ईस्ट की बनावटी छवि को तोड़कर वहां की महिलाओं को एक बेहतर भविष्य का सपना दिखाया है। मोनिशा का बनाया संगठन महिलाओं से जुड़े मुद्दो से लेकर महिला सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा, न्याय आदि क्षेत्रों में महिलाओं की मदद करता है, जिससे उनका जीवनस्तर ऊंचा उठ सके।




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