मलखान सिंह एक
साहसी, सहृदय अौर संवेदनशील लेखक थे। उन्होंने अपनी कविताओं में दलित समाज की यातना अौर उससे मुक्ति की छटपहाट को व्यक्त किया है। ये बातें पूर्व राज्यपाल अौर वरिष्ठ लेखक माता प्रसाद ने अलग दुनिया अौर रश्मि प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम 'मलखान सिंह की स्मृति में एक शाम' की अध्यक्षता करते हुए कही। यह कार्यक्रम शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित था। कार्यक्रम का संचालन के. के. वत्स ने किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए युवा लेखक हरे प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि वे ज़मीनी लेखक थे अौर उन्होंने स्वयं सामाजिक भेदभाव की यातना को झेला था, इस कारण उनकी रचनाओं में उपेक्षित समाज के सच्चे स्वर हैं। आलोचक सुरेश कुमार ने उनकी सहजता की तारीफ करते हुए उन्हें कबीराना तेवर का कवि बताया। वरिष्ठ लेखक राजेश कुमार ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि हिंदी में दलित लेखक तो हैं पर दलित लेखन नहीं है। उन्हें कम से कम मलखान सिंह की कविताओं को तो पढ़ ही लेनी चाहिए। इससे उनकी सोच बदल जाएगी।
दिल्ली से आये वरिष्ठ कवि राजेश्वर वशीष्ठ ने कहा कि मलखान सिंह वास्तविक दलित लेखन के प्रतिनिधि कविता है। वैसी कविता हम सहानुभूति से नहीं रच सकते। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कालीचरण स्नेही ने कहा कि मलखान सिंह की कविता 'सुनो ब्राह्मण' दलित साहित्य में मिल का पत्थर है। कविता बदलाव का ढांचा तैयार करती है। समतामूलक समाज की स्थापना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी। दिल्ली से पधारे कवि सुदेश तनवर ने कहा कि मलखान सिंह की कविताएं सभी मनुष्य को मनुष्य की मान्यता दिलाने के संघर्ष की कविताएं हैं। हमारा समाज अनेक वर्णों में बँटा है, मनुष्यता के ऊपर वर्ण का वर्चस्व कायम है। युवा आलोचक अजित प्रियदर्शी ने कहा कि भोगी हुई यातनाओं की अभिव्यक्ति ही मलखान सिंह की कविता की ताकत है। कार्यक्रम को हरिकेश गौतम, प्रदीप कुमार गौतम, पूर्व आई जी अशोक चंद्र, जी. सी. लाल व्यथित ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य लेखक अौर संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।
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Saturday, August 31, 2019
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मलखान सिंह एक साहसी, सहृदय अौर संवेदनशील लेखक थे।
मलखान सिंह एक साहसी, सहृदय अौर संवेदनशील लेखक थे।
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