बता दें कि उत्तर प्रदेश की 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी तरह से कमर कस लिया है. बीजेपी प्रतापगढ़ की विधानसभा सीट पर खुद लड़ने के मूड में है और इसकी तैयारी भी स्थानीय नेता करने में जुटे गए हैं. जबकि 2017 में इस सीट पर अपना दल (एस) के संगम लाल गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का दामन थामकर प्रतापगढ़ संसदीय सीट से वह जीत दर्जकर संसद पहुंचे है, जिसके चलते प्रतापगढ़ की सदर सीट रिक्त हुई है.
अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल को इस बार नरेंद्र मोदी के केंद्रीय कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. इसके बाद हाल ही में उत्तर प्रदेश की कैबिनेट विस्तार में भी आशीष पटेल जो कि अनुप्रिया पटेल के पति और पार्टी के अध्यक्ष हैं उन्हें जगह नहीं दी गई. जबकि उनके मंत्री बनने की चर्चा बहुत जोरों पर थी.
अपना दल (एस) को लगता है कि बीजेपी उन्हें अपनी राजनैतिक ताकत से दबा रही है और पार्टी के भीतर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है. फिलहाल दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर चुप हैं, लेकिन दोनों के बीच शह-मात का खेल जारी है. इस चुप्पी से अपना दल (एस) के भीतर बढ़ी हुई बेचैनी साफ दिखाई दे रही है.
बहरहाल अपना दल (एस) फिलहाल वेट एंड वॉच के मूड में है. ऐसे में प्रतापगढ़ की सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी खुद से कोई फैसला करती है तो फिर सूबे में गठबंधन में दरार पड़ना लाजमी है, क्योंकि अनुप्रिया पटेल किसी भी सूरत में इस सीट को नहीं छोड़ना चाहती है. हालांकि बीजेपी के साथ-साथ अपना दल (एस) भी इस सीट पर चुनावी तैयारी में जुटी हुई है.