पश्चिम बंगाल में 70 फीसदी से अधिक अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या वाले सरकारी स्कूलों में उनके लिए अलग भोजन कक्ष (डाइनिंग हॉल) बनाने के ममता बनर्जी सरकार के फैसले पर विवाद शुरू हो गया है। भाजपा समेत विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक आधार पर छात्रों को बांटने की कोशिश बताया है। वहीं, राज्य सरकार व सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे तकनीकी मामला करार दिया।
विवाद बढ़ता देख पहले मुख्यमंत्री बनर्जी के हवाले कहा गया कि यह पुराना सर्कुलर था, जिसे गलती से जारी कर दिया। बाद में जारी एक अन्य बयान में ममता ने कहा कि सर्कुलर का मकसद अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या का पता लगाना है ताकि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के धन को इस योजना में खर्च किया जा सके।
उनका दावा है कि हम केंद्र के दिशा-निर्देश का पालन कर रहे हैं। यह तकनीकी मामला है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री गयासुद्दीन ने भी विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस योजना से सभी छात्रों को लाभ होगा। डाइनिंग हॉल में तमाम छात्र मिड-डे मील खा सकते हैं।
उनका दावा है कि हम केंद्र के दिशा-निर्देश का पालन कर रहे हैं। यह तकनीकी मामला है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री गयासुद्दीन ने भी विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस योजना से सभी छात्रों को लाभ होगा। डाइनिंग हॉल में तमाम छात्र मिड-डे मील खा सकते हैं।