एक तरफ आज नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में इसको लेकर उथल-पुथल चल रही है। हालांकि यह उथल-पुथल वहां कोई नई नहीं है। इसको समझने के लिए 2014 का रुख करना जरूरी होगा। उस वक्त जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी तब पाकिस्तान में उन्हें कट्टर सोच वाला एक निरंकुश शासक बताया था। मीडिया में इस दौरान बढ़-चढ़कर गुजरात दंगों का भी जिक्र किया था।
मीडिया डिबेट में इसको लेकर लगातार चर्चाओं का दौर गरम था। वह सब अब फिर से पाकिस्तान में दिखाई दे रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के नामी अखबार डॉन में आज जो लेख छपा है वह फिर से इसी उथल-पुथल की तरफ इशारा कर रहा है। इसको इब्न अब्दुर रहमान ने लिखा है। रहमान पाकिस्तान की एक जानी-मानी शख्सियत हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।
अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद भारत ने अपनी सेक्युलरिज्म की छवि को दफन कर दिया है। इसमें यहां तक लिखा है कि भाजपा ने इस चुनाव में जिस रणनीति से काम किया था वह पूरे देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने की नीति थी। इसमें उसको सफलता मिली है।