नई दिल्ली औलाद की सफलता के लिए मां-बाप हर बलिदान देते हैं और इस बलिदान के कारण ही मां-बाप का स्थान दुनिया में सर्वोच्च है। ऐसा ही बलिदान एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ८00 मीटर दौड़ में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाली गोमती मरिमुतु के पिता ने दिया। अब उनके पिता का निधन हो चुका है।
गोल्ड मेडलिस्ट गोमती के सम्मान में चेन्नई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पिता के बलिदान को याद करके भावुक हुई गोमती ने कहा कि वह गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। जब उन्होंने खेल जगत में कदम रखा तो उनके पास कई बार डाइट खाने के पैसे नहीं होते थे। गोमती बताती हैं कि उनके लिए अच्छी डाइट के पैसे जुटाने के लिए पिता (मरिमुुत्तु) ने बीमारी के दिनों में भी पशुओं का चारा खाया था। खबरों के मुताबिक, गोमती ने कहा कि उस वक्त पिताजी की तबीयत खराब थी और वह हॉस्पिटल में भर्ती थे। वह चाहते थे कि हमारी ट्रेनिंग अच्छी हो।
पैसे बचाने के लिए पिता पशुओं का चारा खाते और कई बार बहुत दूर-दूर तक पैदल ही जाते ताकि बस का किराया खर्च न करना पड़े। पिछले सप्ताह सोमवार को गोमती मरिमुतु ने महिलाओं की 800 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल करके एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सोमवार को यहां भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। गोमती अभी बेंगलुरु में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में टैक्स असिस्टेंट के पद पर तैनात हैं।