बाराबंकी। विश्व टीकाकरण सप्ताह में हिन्द आयुर्विज्ञान संस्थान के बालरोग विभाग ने लखनऊ बाल रोग अकादमी के साथ एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका मुख्य उद्देश्य जन-साधारण को उपलब्ध टीकों के विषय में जागरूक करना और चिकन पॉक्स बीमारी के विषय में समाज में व्याप्त मिथकों का समाधान करना था ।
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में 12 तथा प्राइवेट टीकाकरण में 20 बीमारियों के टीके उपलब्ध हैं। डॉ. उत्कर्ष बंसल ने कहा कि उनके अनुसार चिकनपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो की संक्रमित व्यक्ति की सांस और स्पर्श से फैलती है। यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है और इसके कारण बच्चों को बुखार के साथ शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं । कमज़ोर बच्चों, वयस्कों, गर्भवती स्त्रियों और वृद्धों में ये बीमारी गंभीर रूप ले सकती है ।
डॉ. आर. आहूजा ने बताया की प्रारम्भ में मरीज को तेज बुखार और बदन दर्द होता है, जिसके 2 दिन बाद शरीर पर लाल चक्कते दिखने लगते हैं जो पेट और पीठ से शुरू होकर तेजी से चेहरे और हाथ पैरों पर फ़ैल जाते हैं । फिर इनमें पानी भरने के साथ खुजली होने लगती है जिससे मरीज की स्थिति खराब हो जाती है। इस बीमारी का वरिसेल्ला ज़ोस्टर वायरस इस समय तेजी से फ़ैल सकता है ।
डॉ. एकांश राठोरिया ने बताया की लोग आज भी चिकित्सीय सलाह के बजाय झाड़ फूँक के चक्कर में पड़ जाते हैं जिससे बीमारी और गंभीर हो जाती है । इस बीमारी के इलाज में एंटीवायरल और बुखार व खुजली कम करने की दवा दी जाती है । मरीज को स्वस्थ लोगों से दूर रहना चाहिए तथा उसका खाना व बिस्तर अलग होना चाहिए । मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल प्रदार्थ लेना और आराम करना चाहिए ।
डॉ.जी.के.सिंह ने कहा की इस बीमारी से बचने के लिए प्राइवेट में प्रभावी टीका उपलब्ध है जो 15 माह की उम्र के बाद कोई भी ले सकता है, इसकी दो खुराक चिकन पॉक्स के खिलाफ पूर्णतः प्रभावी है।
इस कार्यक्रम में एम.बी.बी.एस फाइनल इयर छात्रों, डॉ. जे.वी.सिंह, डॉ. प्रगति, डॉ. फातिमा, डॉ. न्याय, डॉ. अमित, डॉ. आदित्य, डॉ. अल्लाउदीन, डॉ. अभिषेक, डॉ. अश्विनी, इंटर्न महर्ष, प्रतीक, प्रशान्त, आलम, हिमांशु, रुपाली, श्वेता, अभिमन्यु, रितान्शु, अंकित, वर्तिका, आशीष, चंद्रप्रभा मौजूद थे